Home छत्तीसगढ़ बेजुबानों के लिए लॉकडाउन में अब हालात विकट हो गए……

बेजुबानों के लिए लॉकडाउन में अब हालात विकट हो गए……

लॉकडाउन में यही इंसानियत का पाठ है। हमें चिंता सिर्फ इंसानों की ही नहीं, बल्कि बेजुबानों की भी करनी है

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बिलासपुर।  कोरोना के खिलाफ जंग में अभी तक सबने अपनी जिम्मेदारी शिद्दत से निभाई है। इस मुश्किल दौर में हमें एक और दायित्व का निर्वहन करना है। मौजूदा समय में संकट उन बेजुबानों के लिए भी बढ़ गया है, जो भूख-प्यास से बेहाल होकर सड़कों पर भटक रहे हैं। पहले ही चारे की कमी इन पर भारी पड़ रही थी। लॉकडाउन में अब हालात और भी विकट हो गए हैं। इसी के मद्देनजर गुस्र्वार को तमाम समाजसेवी संस्थाओं व आम लोगों ने बेजुबानों की भूख और प्यास मिटाने का बीड़ा उठाया और जगह-जगह उनके खाने-पीने का इंतजाम किया।

कोई भूखा न रहे, लॉकडाउन में यही इंसानियत का पाठ है। हमें चिंता सिर्फ इंसानों की ही नहीं, बल्कि बेजुबानों की भी करनी है। आपको यह करना है कि अपनी रसोई में पहली रोटी बेसहारा गोवंश के नाम की निकालें।

आज के वक्त में पक्षियों के लिए भी दाना-पानी का संकट है। इसकी सुध भी आपको ही लेनी है। आप अपने घर की छत पर थोड़ा सा दाना डालेंगे तो पक्षियों के जीवन के लिए यह वरदान बन जाएगा।

घर में रखे किसी वेस्ट बर्तन जैसे ड्रम या बाल्टी में पानी भरकर घर के बाहर रख दें। घर में जो रोटी आपने गोवंश या अन्य बेसहारा पशुओं के लिए निकाली है, उसे भी एक बर्तन में घर से बाहर रख दें। घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना डालें और एक बर्तन में उनके लिए भी पानी भर रख दें।

बेसहारा पशुओं के लिए लिए घर के बाहर रखे जाने वाले बर्तन में किसी भी सूरत में पॉलीथिन न डालें। खाने के साथ ऐसी कोई वस्तु बर्तन में भूलकर भी न डालें, जो बेजुबानों के लिए हानिकारक साबित हो, या उन्हें बीमार कर दे।

लॉकडाउन में घरों से निकलने की अनुमति नहीं। ऐसे में वह संस्थाएं आगे आ सकती हैं, जिन्हें बाहर निकलने की अनुमति है। इनके सदस्य रोटी व अन्य भोजन एकत्रित कर सडकों पर बेसहारा घूमते गोवंश व दूसरे पशुओं को खिला सकते हैं।

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