कोरिया : बैकुंठपुर के शासकीय नवीन कन्या महाविद्यालय में श्जल संरक्षण, संवर्धन, संभावनाएं, महत्ता और प्रयासश् विषय पर आयोजित कार्यशाला में कलेक्टर श्रीमती चन्दन त्रिपाठी ने जल संरक्षण को आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि जल संकट से निपटने के लिए जनभागीदारी आवश्यक है और इसके लिए महिलाओं की भूमिका निर्णायक है।
नारी और पानी दोनों ही जीवनदायिनी
कलेक्टर ने कहा, ‘नारी और पानी दोनों ही जीवनदायिनी हैं। जहां महिलाएं जीवन को संवारती हैं, वहीं जल जीवन का आधार है।‘ उन्होंने छात्राओं और महिलाओं से अपील की कि वे अपने शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन अवकाश में जल संरक्षण जैसे अनुकरणीय कार्यों को प्राथमिकता दें।
सोखता निर्माण और वैकल्पिक खेती की अपील
कलेक्टर ने वर्षा जल संचय के लिए गांव-गांव में सोखता निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसान कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों, जैसे रागी, कोदो, दलहन-तिलहन की खेती को बढ़ावा दें। धान की खेती में अत्यधिक जल खपत को कम करना वक्त की मांग है।
नारी शक्ति से जल शक्ति अभियान की सराहना
कार्यशाला में कलेक्टर ने जल संरक्षण में महिलाओं की भागीदारी के उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने नाला में बोरी बंधान जैसे सफल प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि जल संचय के इन प्रेरक कार्यों को व्यापक जन समर्थन की जरूरत है।
कोरिया को राष्ट्रीय पहचान दिलाने का आह्वान
कलेक्टर ने कहा कि जल संरक्षण, सुपोषण, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सामूहिक प्रयास से कोरिया को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल सकती है। उन्होंने कहा, ‘जल संरक्षण केवल शासन-प्रशासन का कार्य नहीं है, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। घर-घर में वॉटर हार्वेस्टिंग को अपनाना और जल के विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करना आवश्यक है।‘
वन मण्डलाधिकारी श्रीमती प्रभाकर खलको ने जल, जंगल, जमीन और जीवों के संरक्षण पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए इन सभी का संरक्षण जरूरी है। यह जिम्मेदारी हर व्यक्ति को निभानी होगी।‘
जल संरक्षण की जिम्मेदारी सबकी है और नारी शक्ति के सहयोग से कोरिया को जल संकट से मुक्त करने का सपना साकार किया जा सकता है।