आज 05 अक्टूबर, शनिवार को शारदीय नवरात्रि का तृतीय दिन है। इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप की पूजा-आराधना की जाती है। मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा के नाम से जानते हैं। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन मां को अन्य भोग के अलावा शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि यह भोग लगाने से माँ दीर्घायु होने का वरदान देती हैं। इनके पूजन-अर्चन से व्यक्तित्व में वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ता है।
देवी चंद्रघंटा का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
ऐं श्रीं शक्तयै नम:
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
धार्मिक मान्यता के अनुसार देवी चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत शांतिदायक और कल्याणकारी है। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। उनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। 10 भुजाओं वाली देवी प्रत्येक हाथ में अलग-अलग शस्त्र से सुशोभित हैं। उनके गले में सफेद फूलों की माला सुशोभित है। यद्यपि वह दुष्टों पर अत्याचार करने और उन्हें नष्ट करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, फिर भी उनका रूप देखने वाले और उपासक के लिए सौम्यता और शांति से भरा रहता है। अतः भक्तों के कष्टों का निवारण ये शीघ्र ही कर देती हैं। सिंह इनका वाहन है।
मां चंद्रघंटा की कथा
माता का रंग स्वर्णमय है। वे कान्ति से ओत प्रोत हैं। इनके शरीर से निकलने वाली घंटा ध्वनि से भूत–प्रेत, शत्रु आदि ये सब भाग जाते हैं। वे अपने भक्तों को निडर और भयहीन बनाती है। सदा शत्रुओं का मर्दन करने वाली माता का स्वरूप फिर सौम्य और शांत है। शरणागत घण्टे की ध्वनि सुनते ही आश्वस्त हो जाता है कि माता उस पर कृपा अवश्य बरसाएंगी। इनकी सौम्यता और शांत चित्त का प्रभाव भक्तो पर भी पड़ता है, उसका शरीर भी प्रकाशमय हो जाता है।
माता की आराधना अति शुद्ध पवित्र और निर्मल मन से करनी चाहिए। सांसारिक क्लेशों से मुक्ति का उपाय है माता के शरण में जाना। इसी में हमारी भलाई है। देवी पुराण के अनुसार आज 3 कुमारी कन्याओं को भोजन खिलाया जाता है। आज नवरात्रि के तीसरे दिन स्त्रियां नीले रंग वस्त्र पहनती है।
- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानआदि से निवृत हो जाएं।
- इसके बाद मां को शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान करायें।
- अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें।
- केसर-दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं।
- मां को सफेद कमल, लाल गुडहल और गुलाब की माला अर्पण करें और प्रार्थना करते हुए मंत्र जप करें।
- अंत में मां की आरती करें।
मां चंद्रघण्टा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।