नरसिंहपुर, 16 अगस्त 2024. कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले ने शुक्रवार को जिले के ग्राम कठौतिया में जैविक खेती करने वाले कृषकों के खेतों में पहुंचकर कृषि का कार्य का अवलोकन किया।
यहां के कृषक श्री गोपाल यादव ने बताया कि उनके पास लगभग ढाई एकड़ की कृषि भूमि है, जिसमें वे लगभग दो एकड़ में जैविक कृषि कर रहे हैं। अभी उन्होंने अपने खेतों में रिजफरो पद्धति से बीज ग्राम योजना के तहत मक्का की श्रीराम बायो सीड्स 9544 किस्म को बोया है। एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी लगभग 60 सेमी रखी है। इससे जंगली जानवरों के कारण फसल को नुकसान नहीं होता है। फसलों में उपयोग किये जाने वाले उर्वरक भी कम मात्रा में डाले जाते हैं। उन्होंने बताया कि रिजफरो पद्धति स्थायी कृषि को बढ़ावा देती है और पर्यावरण की सुरक्षा करती है। इसके साथ ही जल संरक्षण, उर्जा की बचत, जैव विविधता को बढ़ावा एवं किसानों की आय में भी वृद्धि होती है। इस पद्धति में अधिक वर्षा अथवा लंबी अवर्षा की स्थिति में फसल सुरक्षित रहती है।
मधुबन कृषि फार्म कठौतिया में श्री मुकेश नेमा द्वारा शाश्वत यौगिक जैविक खेती का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कलेक्टर श्रीमती पटले को बताया कि उनके पास 12 एकड़ भूमि है, जिसमें 4 एकड़ भूमि में शाश्वत योगिक जैविक खेती का कार्य पिछले 6 वर्षों से कर रहे हैं। जैविक खेती की शुरूआत उन्होंने आधा एकड़ से शुरू की थी। अपनी भूमि में वे वर्मी कम्पोस्ट की 6 यूनिट का संचालन, जैविक गन्ना, देशी गाय, जैविक सब्जी उत्पादन मसाला, जैविक मक्का एवं धान का उत्पादन कर रहे हैं। इसमें वे जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी 8 एकड़ की भूमि में जितना फसल का उत्पादन होता है, उससे कहीं ज्यादा उत्पादन वे 4 एकड़ की भूमि से प्राप्त कर रहे हैं। इनके द्वारा की जा रही जैविक खेती से प्रभावित होकर गांव के अन्य कृषक भी प्रेरित होकर जैविक खेती को अपना रहे हैं।
कलेक्टर श्रीमती पटले ने कहा कि हम जीवन के उस आयाम में हैं, जहां सकारात्मकता का संचार हमारे आगे के जीवन को निर्धारित करता है। भारतीय वैज्ञानिक श्री जेसी बोस ने यह सिद्ध किया कि पौधे भी मनुष्य एवं पशुओं की तरह संवेदनशील होते हैं और वे भी दर्द एवं पीड़ा को महसूस करते हैं। हम अपने जीवन में चाहे कितने ही भौतिकवादी क्यों न हो जायें, सदैव अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हैं। वर्तमान समय में रासायनिक खादों एवं उर्वरकों के अवैज्ञानिक प्रयोगों से हमारी भूमि की उर्वरा शक्ति का हृास हुआ है। हमें आज प्रकृति एवं मनुष्य के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है। भावी पीढ़ी के लिए खाद्य सुरक्षा भी महत्वपूर्ण हैं। जिस तरह हम अपनी खेती में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं, एक दिन यह खाद- बीज अनुपयोगी हो जायेंगे। अपनी खेती के साथ हमें अपनी भावी पीढ़ी की सेहत का भी ध्यान रखना होगा। धीरे- धीरे करके रासायनिक खेती से हमें परंपरागत खेती की ओर बढ़ने की जरूरत है। इसके लिए जैविक खेती को अपनाना महत्वपूर्ण हैं। श्री नेमा द्वारा शाश्वत यौगिक खेती को अपनाना प्रशंसनीय है। इस अवसर पर प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की ओर से राजयोगिनी बीके वंदना द्वारा जैविक खेती के जुड़ाव को आध्यात्मिकता से जोड़कर उसके महत्व को प्रतिपादित किया।
कार्यक्रम में कलेक्टर श्रीमती पटले ने श्री मुकेश नेमा व श्री अभिषेक नेमा द्वारा अपने इस फार्म में तैयार किये गये जैविक गुड़ एवं जैविक चावल भी देखा।
शाश्वत यौगिक खेती का मतलब भौतिक एवं परा भौतिक ऊर्जा के साथ भावनात्मक संबंध जोड़कर पारंपरिक तरीके से खेती करना है, जिसमें स्वयं को चैतन्य शक्ति आत्मा समझ प्रकृतिपति परमात्मा से अपने मन और बुद्धि को जोड़ परमात्म शक्तियों, परमात्मा ऊर्जा को स्वयं में धारण कर प्रकृति के पंचतत्व एवं फसलों पर ऊर्जा को प्रवाहित करना और महसूस करना कि परमात्म शक्ति हमारी फसल को शक्ति दे रही है, सशक्त बना रही है जिससे फसल की गुणवत्ता बढ़ रही है। मृदा में मित्र कीट सूक्ष्मजीव बढ़ रहे हैं। जब हम राजयोग का प्रयोग करते हैं, तो हमारी फसल एवं हमारी मृदा स्वास्थ्य और शक्तिशाली होती जाती है। हमारे चारों ओर का वातावरण भी सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। शाश्वत योगिक खेती पूर्णतया वैज्ञानिक एवं प्राकृतिक खेती है, जो हमारे पूर्वज करते चले आए थे। अब हमें अपनी इसी प्राचीन कृषि पद्धति की ओर वापस लौटना है।
करेली में जैविक किसान प्रोत्साहन कार्यक्रम में हुई शामिल
खेतों का अवलोकन करने के पश्चात कलेक्टर श्रीमती पटले करेली के डीएम पैलेस में आयोजित कुरूवंशी फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी करेली द्वारा बोनस वितरण एवं जैविक किसान प्रोत्साहन कार्यक्रम में शामिल हुई। उन्होंने इस एफपीओ से जुड़े कृषकों के खातों में लाभांश की राशि अंतरित की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) एक ऐसा संगठन है जिसमें किसान अपनी फसलों को उगाने के लिए एक साथ मिलकर काम करते हैं। इस संगठन में, किसान अपनी फसलों को सामूहिक रूप से बेचते हैं और अपने उत्पादों को सामूहिक रूप से बाजार में पहुंचाते हैं। यह किसानों को आर्थिक सुरक्षा, तकनीकी सहायता प्रदान करने में सहायक सिद्ध होते हैं। अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने कम्पनी के वार्षिक बेलेंस शीट, आय- व्यय का लेखा एवं लाभांश के बारे में पढ़ा था। उन्होंने यह कभी कल्पना नहीं की थी कभी एफपीओ भी अपने से जुड़े किसानों को लाभांश देगा। मुझे यह खुशी है कि हमारे जिले में यह कार्य किया जा रहा है। यह आपसभी की मेहनत का ही नतीजा है, जो आप आज लाभ अर्जित कर अतिरिक्त लाभांश भी प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने यहां मौजूद एफपीओ से जुड़े जैविक खेती करने वाले कृषकों को अन्य कृषकों को प्रेरित करने का आव्हान भी किया।
इस एफपीओ से जुड़े श्री वेद प्रकाश ने बताया कि उन्होंने इसकी स्थापना 2020 में की थी, जिसमें 593 कृषक पंजीकृत हैं। इसका कार्य क्षेत्र 92 गांवों में फैला है। वर्ष 2023- 24 में इसका वार्षिक कारोवार 3.53 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2024- 25 में बढ़कर 6 करोड़ रुपये होना का अनुमान है।
इस अवसर पर उप संचालक कृषि श्री उमेश कटहेरे, गन्ना अधिकारी डॉ. अभिषेक दुबे, आत्मा परियोजना अधिकारी, कृषि विस्तार अधिकारी सहित अन्य कृषक मौजूद थे।