रवि शर्मा सोनहत………..
सोनहत- छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस वर्ष राज्य में कई नवीन धान खरीदी केंद्रों की स्थापना कर स्वयं की पीठ थपथपा रही है परंतु हकीकत इसके बिल्कुल उलट है शासन के द्वारा बनाए गए खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था की भरमार है आनन फानन में बनाए गए केंद्रों में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रबन्धकों के भरोसे छोड़ कर अपना पल्ला झाड़ लिया है ताजा मामला रामगढ़ का है जहां एक दिसम्बर से धान खरीदी शुरू हुई थी और आज तक लगभग 5000 क्विंटल धान की खरीदी की जा चुकी है लेकिन उठाव के नाम पर आज तक एक बोरी का भी परिवहन नहीं हुआ है समिति प्रबन्धक ने बताया कि इससे हमें काफी परेशानी हो रही है उठाव न होने की वजह से धान सूख रहा है एवं चूहों के आक्रमण का भी खतरा बना हुआ है साथ ही साथ बेमौसम बारिश का भी खतरा बना हुआ है ऐसे में इसका पूरा खामियाजा हमें ही भुगतना पड़ेगा।
कम्प्यूटर की नहीं है व्यवस्था समिति में नेट व्यवस्था नहीं होने से समस्त ऑनलाइन कार्य हेतु सोनहत जाना पड़ता है यहां से धान खरीदी कर सोनहत समिति में जाकर किसानों का खरीदा गया धान की ऑनलाइन इंट्री की जाती है ऐसे स्थिति में ऑपरेटर की भर्ती भी बेफिजूल ही लगती हैप्रबंधक ने बताया कि कम्प्यूटर कार्य नहीं होने से ऑपरेटर भी कम ही आता है।
किसानों से लिया जा रहा अधिक धान सलगवा खुर्द के किसान देवप्रताप तथा एक अन्य ने बताया कि प्रति बोरा 41 किलो धान लिया जा रहा है जबकि नियमानुसार बोरा सहित वजन 40.800 प्रति बोरा लिया जा रहा है इस बारे में समिति प्रबन्धक का कहना है कि किसान दूर से धान लाता है जिसमें नमी ज्यादा होने के कारण हम दो तीन सौ ग्राम ज्यादा लेना पड़ता है अब नमी अधिक होने पर किसान को वापस भी नहीं भेज सकते,कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रशासन ने नई समितियों को खोलने में जल्दबाजी दिखाई बिना किसी व्यवस्था के खरीदी केंद्र खोलकर प्रबन्धकों के भरोसे छोड़ दिया गया और इसे ऐतिहासिक उपलब्धि मान रहे हैं।